( धार्मिक कविता )

ॐ से सृष्टि .. ब्रम्हा,बिष्णु ,शिव
शिव भगवानते .. छे चार्ह-धाम।
चाहे जाअ् .. बाबा बैधनाथ धाम,
पाँवन अैठिक ..डाकोपरा बोलबमेर नाम।।

भक्तिते मिल्बे .. शक्ति आर मुक्ति ,
डमरू आर त्रिशुलेर .. एके हए बाण।
मन सच्चा ते .. काठुवाते मिल्बे गंगा ,
गटेलाते छिर्याल छे .. शिव भगवान।।

जटाँए से खुलिचे .. उत्रासोकेर गंगा ,
लदिते करुवाए गंगा .. देहा स्नान ।
बेलपात आर धुपदीप .. ग्रहण करिए ,
भक्तलाक ईच्छाशक्ति .. करे निजे दान।।

नादेखे गरीब निर्धन .. शिवेर महानता ,
गलीते पुगोक .. सभारे चार-धाम।
साअन महिनाते ..भक्ति उपास सभारे,
घर-घर पुगे .. बोलबम शिवेर धाम।।

 

 जोगेन्द्र प्रसाद राजवंशी
कचनकवल :- ३, दल्की झापा
हाल :- मलेशिया

याे खबर पढेर तपाईलाई कस्ताे महसुस भयाे?
+1
2
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0

तपाईको प्रतिक्रिया

सम्बन्धित समाचार