काँह् आफ्ने .. जान देछे
काँह आफ्ने .. प्राण लेछे।
हाय रे हाय .. जिन्दगी
लोक्ला जीवन .. भुलिए जाछे।।

अनमोल जीवनेर .. कल्हा कहचे,
काँह , जानिए .. जँल्हाते हाराए जाछे।
कि हिसाब लेछे .. समाजेर सँगे
काँहे ,दे बाँनी .. कि-किलाँ पाँचे ??

साँकाते, साँकाते जे .. घरेर व्यवहार
काँह काँह त .. ऊकाँसैनी पाँचे ?
लदीते हचे .. धाँम्ना आर धाँस्ना
लोकला जानिए .. जान्जालते फाँसिए जाछे।।

मनसे हाराले .. मनेर संसार
लोक्ला काँहकनी .. देखुवा पाचे।
टाँकाते घुरेचे यिड् .. दुनियाँ संसार
लोक्लाक टाँकालाए .. जान्डाक खाँचे।।

अग्नीते जले जे .. आफ्नार नाता
जैखुना,यिड् देहा .. माटी हए जाछे।
कि बदला लेछे .. आफ्नार सँगे?
यिला जिन्दगी .. काँहाकनी बुझुवा पाचे।।

जोगेन्द्र प्रसाद राजवंशी 
कचनकवल :- ३, दल्की
हाल :- निजी निवास

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