यह एहसास उम्र के साथ और गहरा होता जाता है।
पहचान के लिए समय दिया गया है.
जीवन एक आचार संहिता बन जाता है,
केवल सत्य ही शेष है.

विश्वास के साथ सफलता का पीछा करें
एकता ही एकमात्र रास्ता है.
बनत प्रकाश नई सुबह अरुण,
महत्वाकांक्षा प्रगति की ओर ले जाती है।

भगवान चितवन में आस्था
संकल्प दृढ़ हो जाता है.
अह्लाद कर्म पथ प्रेरित करता है,
फल का पेड़ मुस्कुराता है.

बस मातृभूमि की भव्य इच्छा,
समुन्नति को अनमोल ने गाया है.
आज़ाद मातृभूमि का लहराता झंडा,
जीत का एहसास जागता है.

प्रगति का देश मजबूत हो,
सद्भाव पैदा होता है.
केवल प्रकृति के शांतिपूर्ण जीवन से प्यार करें,
नया सवेरा मशहूर है.

कर्तव्य ही राष्ट्रवाद है.
देश मुस्कुराता है.
– देवेन्द्र किशोर ढुंगाना छेत्री
. भद्रपुर, झापा

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